सांविधार पंचायत की महिलाओं ने सीखे प्रकृतिक खेती के गुर

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देश के सामने जब-जब कोई चुनौती आई है तब-तब कृषि और किसानों ने देश का साथ दिया है। एक समय था जब भारत में खाद्यान्न का अभाव था और हमें अपनी आवश्यकताओं को आयात करके पूरा करना पड़ता था।  ऐसे समय में हरित क्रान्ति के माध्यम से हमने खेती बाड़ी को बदला और आत्मनिर्भर बने। पर इस आत्मनिर्भरता के दौर में हम कहीं न कहीं प्रकृति के साथ संतुलन स्थापित करना भूल गए । देश में प्रकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशव्यापी अभियान शुरू किया है। वहीँ देश भर में किसानों के लिए सरकारी तथा निजी स्तर पर अनेक प्रशिक्षण शिविर लगाए जाते जाते हैं।

इसी कड़ी में हिमाचल प्रदेश के मंडी ज़िला के करसोग की ग्राम पंचायत सांविधार में सुभाष पालेकर प्रकृतिक खेती पर दो दिवसीय कृषक प्रशिक्षण शिविर लगाया गया। इस प्रशिक्षण शिविर में कृषि विभाग से आये विशेषज्ञों ने पंचायत की महिला मंडल व सवेयम सहट समूह की  सदस्यों को प्रकृतिक खेती से जुडी अहम् जानकारियां साझा की।  कृषि विभाग करसोग के खण्ड तकनीकी प्रबंधक बंटी कुमार, सहायक तकनीकी प्रबंधक सौरभ तथा मास्टर ट्रेनर भीम सिंह ने 38 महिलाओं को प्राकृतिक खेती के विभिन्न पहलुओं के बिषय में प्रशिक्षण दिया। शिविर में उत्पादकता में वृद्धि के लिए आवश्यक जीवामृत, घनजीवामृत, दशपर्णी अर्क, बीजामृत व ब्रह्मास्त्र इत्यादि को तैयार करने की विधि भी बताई गई।

प्रशिक्षण शिविर में भाग लेने वालों में सम्मिलित जागृति महिला मंडल शेगलीनाल की सचिव सत्या वर्मा ने अपने अनुभव साझा करते हुए बताया कि इस प्रकार के आयोजन किसानों के कृषि के प्रति रुझान को सकारात्मक रूप से बदलने में बहुत सहायक हैं। प्राकृतिक खेती के माध्यम से हमारा प्रकृति के साथ तालमेल बढ़ेगा, जिससे गांवों में ही रोजगार बढ़ेगा।  प्रशिक्षण शिविर में पता चला कि किस प्रकार प्रकृतिक खेती का अनुसरण करके खेती की लागत में कमी लायी जा सकती है और प्रकृति के साथ संतुलन स्थापित करके किसानों को फायदा पहुँच सकता है।

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