साहित्य का ज्ञान वैचारिकता के साथ-साथ बढ़ाता है अभिव्यक्ति की क्षमता : प्रो. शंकर शरण

शिमला के रोटरी टाउन हॉल में आज हिमाचल साहित्य संवाद संस्था द्वारा हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय हिन्दी विभाग तथा कला भाषा संस्कृति अकादमी के संयुक्त तत्वावधान में स्वतन्त्रता के अमृत महोत्सव पर हिंदी दिवस एवं भारतेन्दु हरिश्चन्द्र जयंती के अवसर पर एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। दीप प्रज्जवलन के पश्चात डॉ. पल्लवी भारद्वाज द्वारा कविता पाठ के बाद एडवांस स्टडीज के फेलो एनसीईआरटी के राजनीतिक विभाग के प्रोफेसर एवं प्रसिद्ध लेखक और स्तंभकार प्रो.शंकर शरण जी ने मुख्य वक्ता का उद्बोधन दिया। प्रो. षंकर ने कहा कि महान साहित्य पढ़ना अपने व्यक्तिगत जीवन और पूर्वजों की ख्याति को आगे बढाने का कार्य है। उन्होंने कहा कि अच्छा साहित्य न केवल वैचारिकता को बढ़ाता है बल्कि व्यक्तित्व व अभिव्यक्ति की क्षमता को भी बढ़ाता है। उन्होंनं कहा कि प्रसिद्ध साहित्यकार निर्मल वर्मा के शब्दों में अच्छा साहित्य पढना जीवन को गति प्रदान करता है। उन्होंने कहा कि जिस व्यक्ति का अपनी भाषा पर पूरा अधिकार है वही अन्य भाषाओं पर पकड़ बना सकता है। प्रो.शंकर शरण ने कहा कि रवीन्द्रनाथ टैगोर बच्चों के लिए साहित्य को सर्वाेत्तम मानते थे, चिंतन शक्ति और कल्पना शक्ति जीवन के लिए आवश्यक है। बचपन से ही चिंतन पर बल देना आवश्यक है पर आज की शिक्षा यह नही बताती। उन्होंने कहा कि सभी संस्थाओं को मिलकर इस दिषा मेें कार्य करना चाहिए। कार्यक्रम अध्यक्ष प्रो. श्रीराम षर्मा ने साहित्य की आवष्यकता पर बल देते हुए कहा कि जब तक हममें साकारात्मक दृष्किोण नहीं आयेगा तब तक साहित्य को सफलता नहीं मिलेगी। कार्यक्रम में विषिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित हिन्दी विभाग प्रमुख डॉ पान सिंह, डॉ षोभा, व अकादमी के सचिव डॉ कर्मसिंह ने भारतेन्दु हरिषचंद्र के साहित्य में ओत प्रोत राष्ट्रीयता की भावना व कवियों और साहित्यकारों के देष की स्वाधीनता में दिये गये योगदान को याद किया। इस दौरान विश्वविद्यालय के प्राध्यापकों और विद्यार्थियों ने कविता भी पाठ किया। कार्यक्रम का संचालन हि.प्र वि.वि. की डॉ प्रियंका वैद्य ने किया। इस अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रान्त प्रचार प्रमुख श्री महीधर प्रसाद , हि.प्र. वि.वि. के प्राध्यापक और विद्यार्थी उपस्थित रहे.

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