बीएड के बिना ही होगी शास्त्री अध्यापकों की भर्ती, उच्च न्यायालय ने खारिज की याचिका

हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने बीएड धारकों की याचिका खारिज कर दी है। हाईकोर्ट ने कहा है कि प्रदेश में शास्त्री शिक्षकों की भर्ती बिना बीएड शैक्षणिक योग्यता के ही होगी। हाईकोर्ट ने बीएड को अनिवार्य करने की मांग को खारिज कर दिया है। न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान व न्यायाधीश वीरेंद्र सिंह की खंडपीठ ने यह निर्णय सुनाया है। बीएड धारक सतीश कुमार और अन्य की ओर से दलील दी गई थी कि राज्य सरकार ने शास्त्री शिक्षक के भर्ती एवं पदोन्नति नियमों में एनसीटीई की अधिसूचना के तहत जरूरी संशोधन नहीं किया है। एनसीटीई ने वर्ष 2011 में अधिसूचना जारी कर शास्त्री शिक्षक के लिए बीएड की अनिवार्य योग्यता निर्धारित की है। चयनित उम्मीदवारों की ओर से दलील दी गई थी कि एनसीटीई की वर्ष 2011 में जारी अधिसूचना नियमों के विपरीत है। एनसीटीई ने नियमों को दरकिनार कर केंद्र सरकार की सिफारिश पर शास्त्री शिक्षक के लिए बीएड की अनिवार्य योग्यता निर्धारित की है। राज्य सरकार के महाधिवक्ता ने दलील दी थी कि शिक्षक की योग्यता निर्धारित करने के लिए राज्य सरकार सक्षम है। सरकार ने शास्त्री शिक्षक के भर्ती एवं पदोन्नित नियम एनसीटीई की वर्ष 2010 की अधिसूचना के तहत ही बनाए हैं। दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद खंडपीठ ने अपने निर्णय में कहा कि शिक्षा का अधिकार अधिनियम की धारा 29 (1) और 23 (1) के तहत एनसीटीई के पास ही शिक्षक के लिए न्यूनतम पात्रता निर्धारित करने का अधिकार है। यदि योग्यता निर्धारित करते समय नियमों के अनुरूप प्रक्रिया का पालन नहीं किया जाता है तो राज्य सरकार एनसीटीई की ओर से जारी निर्देशों का पालन करने के लिए बाध्य नहीं है। अदालत ने पाया कि शास्त्री शिक्षक के लिए बीएड योग्यता निर्धारित करते समय एनसीटीई ने धारा 3, 12 और 12ए को उल्लंघन किया है। गौरतलब है कि चयन आयोग ने वर्ष 2020 में शास्त्री शिक्षकों के 1182 पद विज्ञापित किए थे। ये पद 50 प्रतिशत बैच वाइज और 50 प्रतिशत सीधी भर्ती से भरे जाने थे। हालांकि इसमें से 582 पद विभाग ने बैचवाइज भर दिए हैं, लेकिन आयोग की ओर से भरे जाने वाले 582 पदों पर शिक्षकों को अभी तक नियुक्ति नहीं दी गई है। 23 दिसंबर, 2021 को आयोग ने शास्त्री का परिणाम घोषित किया था। वहीँ प्रदेश उच्च न्यायालय कंप्यूटर शिक्षक भर्ती मामले पर सुनवाई टल गई है। समय के अभाव के कारण इस मामले पर सुनवाई नहीं हो सकी। इस मामले को न्यायाधीश अजय मोहन गोयल के समक्ष सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया था। याचिकाकर्ताओं ने कोर्ट में कंप्यूटर शिक्षकों के उस भर्ती नियम को चुनौती दी है, जिसके तहत विभाग ने पांच वर्ष के अनुभव को भर्ती के लिए योग्य शर्त बनाया है। शिक्षकों ने अदालत से गुहार लगाई है कि उनकी सेवाओं को नियमित करने के आदेश पारित किए जाएं। कंप्यूटर शिक्षक भर्ती मामले पर प्रशासनिक ट्रिब्यूनल ने वर्ष 2013 से स्थगन आदेश पारित किए हैं। उसके बाद से कंप्यूटर शिक्षकों की भर्ती नहीं हो पाई है। करीब 1300 कंप्यूटर शिक्षक प्रदेश के विभिन्न स्कूलों में वर्ष 2002 से सेवाएं दे रहे हैं।