नवरात्रि के चौथे दिन मां कूष्मांडा की हुई पूजा अर्चना

शारदीय नवरात्रि के चौथे दिन मां कूष्मांडा की पूजा का विधान है। मान्यता है कि देवी ने अपनी मंद मुस्कान से पिंड से ब्रह्मांड तक का सृजन इसी स्वरूप में किया था। देवी के कूष्मांडा स्वरूप के दर्शन पूजन से न सिर्फ रोग-शोक का हरण होता है अपितु यश, बल और धन में भी वृद्धि होती है। काशी में देवी के प्रकट होने की कथा राजा सुबाहु से जुड़ी हुई है। जानें मां मां कूष्मांडा का स्वरूप, भोग, पूजा विधि, शुभ रंग व मंत्र- मां कूष्मांडा की आठ भुजाएं हैं। मां को अष्टभुजा देवी के नाम से भी जाना जाता है। इनके सात हाथों में क्रमशः कमंडल, धनुष, बाण, कमल-पुष्प, अमृतपूर्ण कलश, चक्र तथा गदा है। आठवें हाथ में जपमाला है। मां सिंह का सवारी करती हैं। मां कूष्मांडा को भोग में मालपुआ चढ़ाया जाता है। मान्यता है कि इस भोग को लगाने से मां कूष्मांडा प्रसन्न होती हैं और भक्तों पर अपना आशीर्वाद बनाए रखती हैं।

 

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