समरस समाज के लिए महर्षि वाल्मीकि के दिखाए मार्ग पर चलना ज़रूरी : राज्यपाल

राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने आज महर्षि वाल्मीकि जयंती के अवसर पर शिमला के उपनगर संजौली स्थित भगवान वाल्मीकि मंदिर जाकर माथा टेका।
इस अवसर पर उन्होंने कहा कि महर्षि ने भगवान राम को लेकर जो महाकाव्य तैयार किया उसकी तुलना किसी अन्य ग्रंथ से नहीं की जा सकती है। वाल्मीकि समाज के ऋषि थे, जिनका पूरा विश्व चरणवंदन करता है। उन्होंने कहा कि वे किसी एक समाज से संबंध नहीं रखते थे, बल्कि पूरे विश्व के थे। उन्होंने कहा कि उनकी शिक्षाएं आज अधिक प्रासंगिक है और समाज में समरसता के लिए उनके दिखाए मार्ग पर चलने की आवश्यकता है। इस अवसर पर, उन्होंने विभिन्न सामाजिक कार्यकर्ताओं को भी सम्मानित किया। इससे पूर्व, वाल्मीकि सभा के अध्यक्ष नारायण सिंह ने राज्यपाल का स्वागत किया। कुसुम्पटी के विधायक अनिरुद्ध सिंह तथा अन्य गणमान्य व्यक्ति इस अवसर पर उपस्थित थे।

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