राज्यपाल ने हिमालयी राज्यों की समस्याओं के समाधान के लिए हिमालयी ग्रिड बनाने की आवश्यकता पर दिया बल

डॉ. यशवंत सिंह परमार औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, नौणी, सोलन में आयोजित तीन दिवसीय हिम-संवाद-‘ट्रांस हिमायलयन कान्फ्रेंस ऑन लोकलाइज़्ड सोल्यूशन एंड इंप्लीमेंटेशन स्ट्रेटेजी’ के उद्घाटन अवसर पर राज्यपाल ने यह बात कही। इस कार्यक्रम का आयोजन नौणी विश्वविद्यालय, सेवा इंटरनेशनल, प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना एवं इंडियन इकोलॉजिकल सोसायटी के संयुक्त तत्वावधान में किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि हिमालयी क्षेत्र की अपनी समस्याएं हैं जिन्हें सभी के सहयोग से हल करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार तटीय क्षेत्रों के लिए कोस्टल गार्ड ग्रिड बनाया गया है, उसी तर्ज पर हिमालयन ग्रिड पर विचार किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि इस मामले को उन्होंने केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के समक्ष भी प्रस्तुत किया है। उन्होंने कहा कि हिम-संवाद एक प्रभावी मंच है जो इस दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। उन्होंने कहा कि इस प्रकार के प्रभावी मंचों से हिमालयी क्षेत्रों में भूस्खलन जैसी प्राकृतिक आपदाओं का समाधान निकाला जा सकता है। उन्होंने इस दिशा में सेवा इंटरनेशनल के प्रयासों की भी सराहना की। उन्होंने कहा कि युवा शक्ति कई समस्याओं का समाधान कर सकती है, लेकिन इसके लिए हमें अपने दृष्टिकोण में सकारात्मक बदलाव लाने की आवश्यकता है। उन्होंने आशा व्यक्त की कि अमृत काल के 25 वर्षों के पश्चात भारत विश्व गुरु बनेगा और हम इस दिशा में तेजी से अग्रसर हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि देश के युवा इसे संभव बना सकते हैं। हमें इस विश्वास के साथ आगे बढ़ना होगा कि 25 साल बाद भारत ‘सोने का शेर’ बनेगा।

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