मल निकासी संयंत्रों में तय मापदंडों का अनुपालन करने के निर्देश
हिमाचल प्रदेश राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष संजय गुप्ता ने कहा है कि बोर्ड ने शिमला जल प्रबंधन निगम लिमिटेड (एस.जे.पी.एन.एल) और जल शक्ति विभाग द्वारा मल उपचार संयंत्रों (एस.टी.पी.) में तय मापदंडों का अनुपालन नहीं करने पर कड़ा संज्ञान लिया है। निर्धारित मापदंडों का अनुपालन नहीं करने से जल स्त्रोतों के प्रदूषित होने का खतरा बना रहता है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (एनजीटी) के निर्देशों के अनुसार बद्दी के समीप सिरसा नदी, मारकण्डा नदी, ब्यास नदी, अश्वनी खड्ड, गिरी नदी और पब्बर नदी के प्रदूषित भागों का कायाकल्प करने के लिए वर्ष 2019-20 में कार्य योजना तैयार की गई थी। जल शक्ति विभाग राज्य के मुख्य शहरी क्षेत्रों के विभिन्न हिस्सों में 99.97 एमएलडी क्षमता के 70 एस.टी.पी. का संचालन कर रहा है। इसके अलावा एस.जे.पी.एन.एल. के पास 26.06 एमएलडी क्षमता के 06 एसटीपी हैं, जिन्हें स्तरोन्नत करने की आवश्यकता है। हालांकि, अश्वनी खड्ड के प्रदूषित नदी खंड का कायाकल्प नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के आदेशों के अनुसार किया जा रहा है। प्रदूषकों की सघनता को कम करने के लिए अश्विनी खड्ड के जलग्रहण क्षेत्र की जैव उपचारात्मक प्रक्रिया को भी तेज करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि बोर्ड नियमित रूप से उपचारित अपशिष्ट जल का निरीक्षण, निगरानी और सैंपल भी एकत्रित कर आवश्यकता पड़ने पर नियामक कार्रवाई करता है।