विश्व बैंक द्वारा हिमाचल में वित्त पोषित परियोजनाओं की समीक्षा

विश्व बैंक की एक टीम ने दक्षिण-एशिया क्षेत्र के क्षेत्रीय निदेशक (सतत् विकास) जॉन रूमे की अध्यक्षता में 5 व 6 फरवरी को राज्य का दौरा किया। इसी कड़ी में मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना की अध्यक्षता में हिमाचल प्रदेश में रेजीलिएंट पर्वतीय समुदायों में नए कार्यक्रमों की संभावनाओं पर आज यहां एक बैठक आयोजित की गई। विश्व बैंक की टीम को अवगत करवाया कि प्रदेश सरकार हरित विकास से जलवायु अनुकूल हरित हिमाचल की ओर बढ़ने की ओर अग्रसर है। पर्यावरण, विज्ञान प्रौद्योगिकी विभाग (डीईएसटी) का उद्देश्य सतत् समावेशी हरित रेजीलिएंट हिमाचल की दिशा में हरित विकास पहलों को प्रोत्साहित करना है। बैठक के दौरान राज्य में जिन नई परियोजनाओं में प्रदेश को विश्व बैंक से सहायता की आवश्यकता है उनपर भी चर्चा की गई। इन योजनाओं में राज्य में कार्बन तटस्थता प्राप्त करने के लिए ग्रीन-ईवी-मोबिलिटी प्रोग्राम के लिए समर्थन शामिल है। ग्रीन इंडिया मिशन एप्रोच के तहत हिमाचल के लिए हाइड्रो सस्टेनेबिलिटी, सस्टेनेबल फॉरेस्ट्री और नेचुरल कैपिटल मैनेजमेंट के लिए सस्टेनेबल कैचमेंट और पर्यावरण प्रबंधन के लिए कार्यप्रणाली विकसित करने के लिए सभी 12 जिला और क्षेत्रीय परियोजनाओं में शहरों में आवागमन सुचारू बनाना शामिल है।
विश्व बैंक टीम के साथ समन्वय कर रहे निदेशक पर्यावरण, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी ललित जैन ने बैंक के साथ हिमाचल प्रदेश में हरित विकास के लिए विभिन्न पहलों के बारे में विस्तृत प्रस्तुति दी। विश्व बैंक की टीम में प्रैक्टिस मैनेजर-जल, सुमिला गुल्यानी, कार्यक्रम प्रमुख सतत विकास नतालिया कुलिचेंको, वरिष्ठ पर्यावरण विशेषज्ञ पीयूष डोगरा, प्रमुख आपदा जोखिम प्रबंधन विशेषज्ञ दीपक सिंह, प्रमुख संचालन अधिकारी आइपेक अलकन, वरिष्ठ कृषि व्यवसाय विशेषज्ञ आदर्श कुमार, टीम प्रमुख कारमेन यी बतिस्ता और मैथ्यूज मुलक्कल व रामानुजम शामिल थे।