अक्षत उर्जा दिखा रही स्वरोजगार का नया उजाला

मंडी के किपड़ में सोलर प्लांट से प्रतिमाह 15 से बीस लाख की आमदनी
अक्षय ऊर्जा से विद्युत उत्पादन के सफल प्रयास स्वरोजगार का नया उजाला लेकर आए हैं। सरकार की सोलर उर्जा नीति ने बंजर भूमि में सौर ऊर्जा प्रोजेक्ट स्थापित करने की पहल ने लोगों के लिए आमदनी की नई संभावनाएं अंकुरित की हैं वहीं सस्ती दरों पर विद्युत उत्पादन की राहें भी तलाशी हैं। हिमाचल प्रदेश को हरित उर्जा राज्य बनाने के लिए प्रदेश सरकार प्रयासरत है। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के कुशल नेतृत्व में सरकार द्वारा हरित क्रांति के तहत सौर ऊर्जा के उपयोग को और अधिक बढ़ाने का निर्णय लिया है ,जिसके सार्थक परिणाम दिख रहे हैं।
जिला मण्डी के सदर उपमंडल के गांव किपड़ में विद्युत बोर्ड से सेवानिवृत मुख्य अभियंता कुशाल चंद ठाकुर ने सरकार की सोलर ऊर्जा नीति के तहत उपदान के साथ अक्षय उर्जा पर आधारित प्रोजेक्ट स्थापित करके पंद्रह से बीस लाख रुपये प्रतिमाह आमदनी का नया जरिया बनाया है। 500 किलोवॉट का सौर ऊर्जा प्लांट साथापित किया है। उन्होंने कहा कि सौर ऊर्जा एक नवीकरणीय स्रोत है। यह प्लांट पर्यावरण संरक्षण के लिए भी सुरक्षित है। सोलर प्रोजैक्ट को स्थापित करने में समय भी कम लगता है तथा इस तैयार विद्युत का उपयोग विभिन्न उद्देश्यों के लिए किया जा सकता है।
कुशाल चंद ने बताया कि इस प्लांट से विद्युत का अच्छा उत्पादन हो रहा है। गर्मियों में कुल उत्पादन क्षमता का 90 प्रतिशत से 95 प्रतिशत तक का उत्पादन व सर्दियों में 60 प्रतिशत तक उत्पादन हो रहा है। उन्होंने बताया कि उन्हें इस प्रोजैक्ट से 18-20 लाख प्रति वर्ष आमदनी हो रही है। साथ ही उम्मीद है कि कुल लागत को 8-10 साल में पुरा कर लेंगे तथा इसके बाद आने वाले 15 सालों में अच्छी आमदनी होगी और शुद्ध मुनाफा होगा।
जिला मण्डी में सौर उर्जा का उपयोग कर के कीपड़ सोलर प्लांट में 500 किलो वॉट, सन्यार्ड़ प्लांट में 500 किलो वॉट, साई में 400 किलोवॉट, भाम्बला में 250 किलो वॉट तथा सुन्दरनगर में 500 किलो वॉट विद्युत उत्पादन हो रहा है। इस विद्युत को सरकार 3.98 रुपए प्रति यूनिट की दर पर खरीद रही है। रमेश ठाकुर ने बताया कि जिला में लगभग 4.25 मैगावॉट विद्युत उत्पादन क्षमता के 8 नए सोलर प्लांट भी लगाए जा रहे हैं जिनका आवंटन हो चुका है और कार्य प्रगति पर है। प्रदेश सरकार के 2023-24 के बजट के माध्यम से हिमाचल प्रदेश को 31 मार्च, 2026 तक हरित उर्जा राज्य के रूप में विकसित करने के लिए आवश्यक कदम प्रस्तावित किए गए हैं तथा वर्ष 2023-24 में 500 मेगावाट सौर ऊर्जा परियोजनायें स्थापित करने का लक्ष्य रखा गया है।