बच्चों के स्वस्थ जीवन का आधार टीकाकरण

विश्व टीकाकरण सप्ताह 24 से 30 अप्रैल तक दुनियाभर में मनाया गया। इस वर्ष इस सप्ताह का विषय ‘दि बिग कैच-अप’ रहा। हिमाचल प्रदेश में भी इस सप्ताह को पूरे उत्साह के साथ मनाया गया। इस बार इस सप्ताह को मनाने का उद्देश्य प्रत्येक पात्र शिशु तथा गर्भवती महिला को रोगों से बचाने के लिए टीकाकरण सुनिश्चित करना तथा टीकाकरण से छूटे हुए लाभार्थियों को कवर करना था।
हिमाचल प्रदेश में इस सप्ताह के दौरान विभिन्न स्थानों पर टीकाकरण शिविर लगाए गए तथा जागरूकता गतिविधियां भी संचालित की गईं ताकि अधिक से अधिक लोगों को टीकाकरण की महत्ता से अवगत करवाया जा सके। इस कार्यक्रम के तहत झुग्गियों, प्रवासी आबादी वाले क्षेत्र, श्रमिक शिविरों तथा स्थायी बस्तियों जैसे अधिक जोखिम वाले क्षेत्रों में टीकाकरण पर बल दिया गया।
प्रदेश में विभिन्न टीकाकरण सत्रों के दौरान लगभग 600 बच्चों का टीकाकरण किया गया। प्रदेश में प्रतिवर्ष 390 स्थानों पर 44 हजार टीकाकरण सत्रों के माध्यम से लगभग एक लाख शिशुओं तथा 1.20 लाख गर्भवती महिलाओं का टीकाकरण किया जाता है। इस वर्ष विश्व टीकाकरण सप्ताह के दौरान खसरा (मिज़ल) तथा रूबेला को समाप्त करने पर बल दिया गया।
निदेशक स्वास्थ्य सेवाएं डॉ. गोपाल बेरी ने जानकारी देते हुए कहा कि टीकाकरण कार्यक्रम विश्व का सबसे बड़ा कार्यक्रम है। इस कार्यक्रम के तहत गर्भवती माता, शिशु के जन्म से लेकर 16 वर्ष तक की उम्र के बच्चों को 11 बीमारियों के बचाव के लिए निःशुल्क टीके लगाए गए हैं। इस कार्यक्रम में नियमित टीकाकरण, फ्रेक्शनल आईपीवी की तीसरी डोज के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी प्रदान की गई। टीकाकरण बिल्कुल सुरक्षित है तथा बच्चों के लिए सबसे बड़ा सुरक्षा कवच है। इससे बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता मज़बूत होती है। यह सभी टीके सभी बच्चों को निःशुल्क सरकार द्वारा उपलब्ध करवाए जाते हैं।