हिमालय साहित्य मंच के सदस्यों ने किया भलकू के पुश्तैनी घर का दौरा

हिमालय साहित्य मंच के सदस्य लेखकों और देश के विभिन्न स्थानों से आए 15 प्रख्यात लेखकों, रंग कर्मियों और संगीतकारों ने 14 अगस्त को बाबा भलकू के चायल स्थित पुश्तैनी गांव झाझा जा कर उनकी छठी पीढ़ी के परिजनों से मुलाकात की। उनके परिवार के एकमात्र वरिष्ठ सदस्य दुर्गादत ने भलकू से सम्बन्धित कई दुर्लभ और महत्वपूर्ण जानकारियों भी लेखकों से साझा की। यात्रा में शामिल लेखकों ने बाबा भलकू को ब्रिटिश सरकार द्वारा दिए गए कई प्रशंसा पत्रों और विशेषकर ओवरशियर की नियुक्ति के मूल पत्र का अवलोकन किया। इन पत्रों में तत्कालीन ब्रिटिश सरकार के उच्च अधिकारियों द्वारा बाबा भलकू के हिंदुस्तान – तिब्बत मार्ग निर्माण में किये गए योगदान का वर्णन किया गया है। इन पत्रों में स्पष्ट रूप से लिखा गया है की बाबा भलकू के बिना यह निर्माण कार्य लगभग असंभव था। हिमालय साहित्य मंच के अध्यक्ष और इस यात्रा के सूत्रधार संयोजक एस.आर. हरनोट ने आजादी के अमृत महोत्सव को समर्पित इस यात्रा के विषय में जानकारी देते हुए कहा की इस यात्रा के दौरान बाबा भलकू के परिवार से मिलने के पश्चात परिवार के सदस्य सुशील कुमार के आतिथ्य में उनके घर एक गोष्ठी भी आयोजित की गई जिसमें दुर्गादत सहित भलकू के सभी परिजन उपस्थित रहे। यात्रा में सम्मिलित लेखकों के द्वारा चायल साहित्य परिषद और गांव के लोगों से भी मुलाकात की। उन्होंने कहा कि इस यात्रा के दौरान यात्रा में सम्मिलित लेखकों द्वारा यात्रा के दौरान विभिन्न स्थानों पर कहानी, कविता, संगीत और संस्मरणों के सत्र भी आयोजित किये गए। इन आयोजनों में प्रख्यात कवि आलोचक मदन कश्यप, कवि पत्रकार राकेश रेणु और अजेय के कविता पाठ, कहानीकार, संगीतकार और शोधकर्ता सुनैनी शर्मा ने पंजाबी लोकगीत, गजलों और फिल्मी गानों, वरिष्ठ लेखक रंगकर्मी निलेश कुलकर्णी ने श्रीलंका की अपनी यात्रा के रामायण को लेकर साझा की गयी अनूठी जानकारियां प्रमुख थी। साथ ही अमृतसर के युवा कवि गीतकार लखविंदर सिंह और लखनऊ के मनोज मंजुल और नरेश देयोग ने भी विभिन्न लोकगीत के माध्यम से सभी का मन मोह लिया। यात्रा में सम्मिलित अन्य लेखकों जिन्होंने गोष्ठियों में अपने सृजन से उपस्थिति दर्ज की में मलिक राजकुमार, नवनीत पांडे, सरिता कुलकर्णी, राजुरकर राज, रामकृष्ण शर्मा, सुभाष अग्रवाल, घनश्याम मैथिल, लखविंदर सिंह, दीप्ति सारस्वत, गुप्तेश्वरनाथ उपाध्याय, कौशल्या ठाकुर, दक्ष शुक्ला, जगदीश कश्यप, अनिल शर्मा नील, रत्नचंद निर्झर, अश्वनी कुमार, स्नेह नेगी, सुमन धंनजय, विरेंद्र कुमार, योगराज शर्मा, जगदीश हरनोट के साथ दो छात्र काव्यांश और कर्मण्य प्रमुख रहे।

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