जीवन में कामयाबी के लिए दृढ़संकल्प और मेहनत का कोई विकल्प नहीं : मुख्यमंत्री

शूलिनी विश्वविद्यालय के 7वें दीक्षांत समारोह में मेधावी छात्रों को किया सम्मानित
मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने आज सोलन जिला में स्थित शूलिनी विश्वविद्यालय के 7वें दीक्षांत समारोह की अध्यक्षता की। उन्होंने 63 विद्यार्थियों को पीएचडी डिग्री और 77 विद्यार्थियों को गोल्ड मेडल प्रदान किए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हिमाचल शिक्षा के क्षेत्र में अग्रणी राज्य है तथा यहां से निकल कर अनेक व्यक्तित्व देश-विदेश में प्रदेश का नाम रौशन कर रहे हैं। शूलिनी विश्वविद्यालय में चल रहे 400 शोध कार्यों पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि यहां के विद्यार्थियों ने 1300 पेंटेट हासिल किए हैं, जो उनकी मेहनत और दृढ़निश्चय का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ग्रामीण क्षेत्र के विद्यार्थियों के लिए प्रदेश के प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में चरणबद्ध तरीके से राजीव गांधी डे-बोर्डिंग स्कूल खोल रही है। इसके साथ ही मेधावी विद्यार्थियों को 20 लाख रुपए का ऋण एक प्रतिशत ब्याज पर उपलब्ध करवाया जा रहा है। इसके अतिरिक्त वर्तमान राज्य सरकार ग्रीन इंडस्ट्री को बढ़ावा दे रही है। ई-व्हीकल और सौर ऊर्जा को बढ़ावा दिया जा रहा है। युवाओं को स्वरोजगार के अवसर प्रदान करने के लिए ई-टैक्सी, ई-ट्रक और ई-बस की खरीद पर 50 प्रतिशत की सब्सिडी प्रदान कर रही है। इसके अतिरिक्त सौर ऊर्जा की परियोजनाएं स्थापित करने के लिए 40 प्रतिशत आर्थिक सहायता प्रदान कर रही है। उन्होंने युवाओं से प्रदेश सरकार की जन कल्याणकारी योजनाओं का लाभ उठाने की अपील की।
सभी विद्यार्थियों को बधाई देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि जीवन में कामयाबी के लिए दृढ़संकल्प और मेहनत का कोई विकल्प नहीं है। उन्होंने कहा कि हमें अपना लक्ष्य हासिल करने के लिए निरंतर प्रयासरत रहना चाहिए। सबसे पहले जीवन में अच्छा इंसान बनना चाहिए और फिर समाज को वापिस देना भी सीखना चाहिए। असफलता से ही सफलता का रास्ता निकलता है और युवाओं को सकारात्मक सोच के साथ आगे बढ़ना चाहिए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने हमेशा राजनीति के माध्यम से जनसेवा का सपना देखा और उसी दिशा में मेहनत की। जीवन में ईमानदारी और लगन के साथ काम किया और आज प्रदेश का नेतृत्व करने का अवसर मिला है। उन्होंने कहा कि 17 साल की आयु में उन्होंने छात्र जीवन का पहला चुनाव लड़ा जिसके बाद वे नगर निगम शिमला में पार्षद और उसके बाद विधायक निर्वाचित हुए। सामान्य परिवार से निकलकर राजनीति करना आसान नहीं है, इसके बावजूद उन्हें एनएसयूआई, युवा कांग्रेस का प्रदेशाध्यक्ष और सबसे कम उम्र में कांग्रेस पार्टी का प्रदेशाध्यक्ष बनने का मौका भी मिला।