शिमला के रिज पर राज्य स्तरीय स्वतंत्रता दिवस समारोह

मुख्यमंत्री ने राष्ट्रीय ध्वज फहराया तथा राज्य पुलिस, गृह रक्षक, एनसीसी, एनएसएस की टुकड़ियों की सलामी ली
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स्वतंत्रता दिवस का राज्य स्तरीय समारोह आज ऐतिहासिक रिज मैदान, शिमला में आयोजित किया गया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने राष्ट्रीय ध्वज फहराया। उन्होंने परेड का निरीक्षण किया और मार्च पास्ट की सलामी ली। परेड में पुलिस, होमगार्ड, एनसीसी, एनएसएस, स्काउट्स एंड गाइड की टुकड़ियां शामिल हुईं, जिसका नेतृत्व पुलिस उप-अधीक्षक प्रणव चौहान ने किया।
भारी बारिश के कारण हिमाचल प्रदेश में आई आपदा के बीच आज प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में स्वतंत्रता दिवस के कार्यक्रम सादगी के साथ आयोजित किए गए। इस अवसर पर सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित नहीं हुए।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने लोगों को सम्बोधित करते हुए स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएं दी और कहा कि हिमाचल प्रदेश के लोगों के लिए जश्न मनाने का यह सही समय नहीं है। उन्होंने कहा कि पिछले दो दिनों में प्रदेश पर मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा है। कई स्थानों पर बादल फटने और पहाड़ खिसकने की प्रलयंकारी घटनाएं सामने आई हैं। लोगों द्वारा तिनका-तिनका जोड़कर बनाए गए घर इस आपदा के दौरान मलबे में दब गए हैं। उन्होंने कहा कि इन घटनाओं और रोते बिलखते लोगों को देखकर उनका मन अत्यंत दुखी है। उन्होंने कहा कि पिछले चौबीस घंटे में हमने 50 बहुमूल्य जीवन खोए हैं। हिमाचल प्रदेश में मानसून आने के बाद से 300 से ज्यादा लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी है। उन्होंने इस अवसर पर सभी मृतकों को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की।
ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि प्रभावित परिवारों के लिए यह मुश्किल की घड़ी है लेकिन राज्य सरकार, प्रदेश के लोगों के साथ पूरी मजबूती के साथ खड़ी है। उन्होंने कहा कि प्रभावितों के घाव पैसे से नहीं भरे जा सकते हैं, लेकिन राज्य सरकार एक-एक पैसा जोड़ कर सभी प्रभावितों का घर बसायेगी। उन्होंने कहा कि पूरी सरकार एकजुटता के साथ हिमाचल प्रदेश को संकट से निकालने के लिए युद्ध स्तर पर कार्य कर रही है। मुख्यमंत्री ने कहा कि त्रासदी को देखते हुए इस वर्ष स्वतंत्रता दिवस के कार्यक्रम सेरेमोनियल रूप से मनाए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश में आपदा से भारी तबाही हो रही है तथा यह पिछले 50 साल की सबसे बड़ी आपदा है। जगह-जगह घर और सड़कें टूट रही हैं। किसानों के खेत व फसलें तबाह हो रही हैं और पूरे प्रदेश में आपदा से भारी नुकसान हो रहा है। इस त्रासदी का हिमाचल प्रदेश के सभी लोग बड़ी मजबूती के साथ सामना कर रहे हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार ने पंचायत स्तर तक सभी सम्पर्क मार्गों को खोलने के लिए पर्याप्त धनराशि उपलब्ध करवाई है और अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि समयबद्ध सभी सड़कों को खोला जाए। उन्होंने कहा कि हिमाचल जैसे छोटे से राज्य में 10 हजार करोड़ रुपये से अधिक के नुकसान का अनुमान है। आर्थिक बदहाली के दौर से गुजर रहे हिमाचल को राहत और पुनर्वास कार्यों के लिए केन्द्र सरकार से आर्थिक मदद की जरूरत है। मुख्यमंत्री ने उम्मीद व्यक्त की कि जल्द ही केन्द्र सरकार प्रदेश को अंतरिम राहत की पहली किस्त जारी करेगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि इस वर्ष जुलाई माह में आपदा के दौरान गम्भीर संकट की स्थिति को देखते हुए सरकार ने राहत का एक विशेष पैकेज घोषित किया है। इससे पूर्व घर को आंशिक नुकसान होने पर 10 हजार रुपये की आर्थिक सहायता दी जाती थी। लेकिन राज्य सरकार ने इस सहायता राशि को दस गुना बढ़ाकर एक लाख रुपये कर दिया है। उन्होंने कहा कि दुकानों और ढाबों को नुकसान होने पर, सामान के एवज में, पहले सिर्फ 10 हजार रुपये मिलते थे, जिसे बढ़ाकर एक लाख रुपये किया गया है। किरायेदार के सामान को नुकसान होने पर, पहले 25 हजार रुपये की आर्थिक सहायता मिलती थी जिसे बढ़ाकर 50 हजार रुपये किया गया है। उन्होंने कहा कृषि और बागवानी भूमि में सिल्ट आने पर पहले लगभग 1400 रूपये प्रति बीघा मुआवजा दिया जाता था, जिसे बढ़ाकर 5 हजार रुपये प्रति बीघा किया गया है। उन्होंने कहा कि कृषि और बागवानी योग्य भूमि को नुकसान पर, पहले 3 हजार 600 रूपये प्रति बीघा की आर्थिक सहायता दी जाती थी, जिसे राज्य सरकार ने 10 हजार रुपये प्रति बीघा कर दिया है।
उन्होंने कहा कि इसके अतिरिक्त राज्य सरकार ने आपदा की तैयारी के लिए एक दीर्घकालीन योजना तैयार की है, जिस पर लगभग 800 करोड़ रुपये खर्च किये जायेगें, ताकि भविष्य में ऐसी आपदाओं के दुष्प्रभाव को कम किया जा सके। प्रदेश मेंकृ कृषि, बागवानी, वन और जल क्षेत्र पर ध्यान केंद्रित करते हुए प्रत्येक जिले में भूस्खलन, हिमस्खलन, बाढ़ और भूकम्प सम्बंधी उच्च स्तरीय वैज्ञानिक डेटाबेस का विकास एवं आपदा प्रबन्धन को मजबूत किया जायेगा, जिससे इन आपदाओं से होने वाले नुकसान को रोका जा सके।