महर्षि दयानन्‍द सरस्‍वती की 200वीं जयंती के उपलक्ष में वर्षभर चलने वाले कार्यक्रमों का शुभारंभ

प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने कहा है कि अमृत काल में भी देश की प्राथमिकताएं वहीं हैं जो महर्षि दयानदं की थीं। आज दिल्‍ली में महर्षि दयानंद की 200वीं जयंती पर वर्षभर चलने वाले समारोहों का उद्घाटन करते हुए उन्‍होंने कहा कि गरीबों और वंचितों का उत्‍थान उनकी मुख्‍य प्राथमिकता है। श्री मोदी ने कहा कि आज देश की बेटियां राफेल जैसे युद्धक विमान भी उड़ा रही हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि महर्षि दयानंद ने अपने वैदिक ज्ञान की सहायता से ग्‍लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन की समस्‍या का पूर्वानुमान कर लिया था। उन्‍होंने कहा कि एक ऐसे समय में जब पूरी दुनिया टिकाऊ विकास की बात कर रही है, ऐसे में महर्षि दयानंद द्वारा दिखाया गया प्राचीन भारतीय दर्शन का मार्ग ही इन समस्‍याओं का समाधान प्रतीत होता है। उन्‍होंने कहा कि भारत ने मोटे अनाज को श्रीअन्‍न का नया नाम दिया है और इसे एक वैश्विक पहचान दी है। प्रधानमंत्री ने कहा कि महर्षि दयानंद सरस्‍वती ने सामाजिक जीवन में वेदों के महत्‍व को समझने पर जोर दिया और समाज को एक नई दिशा दी। उन्‍होंने कहा कि महर्षि दयानंद की 200वीं जयंती इस अमृत काल में हम सबके लिए प्रेरणा का स्रोत है। श्री मोदी ने कहा कि महर्षि दयानंद के जन्‍म के समय, सदियों की दासता के कारण देश आत्‍मविश्‍वास विहीन और कमजोर अवस्‍था में था। उन्‍होंने कहा कि महर्षि दयानंद ने सामाजिक भेदभाव, छुआछूत और कई अन्‍य कुरीतियों के विरूद्ध सशक्‍त अभियान चलाया। वे भारत की स्त्री-शक्ति की भी आवाज बने और उन्‍होंने स्त्री-शिक्षा के लिए कई पहलें कीं। श्री मोदी ने कहा कि असमानता के विरूद्ध महर्षि दयानंद के प्रयास, समाज के लिए संजीवनी की तरह हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि अपनी धरोहर और विकास– दोनों दृष्टि से देश ने नई ऊंचाइयों को छुआ है। उन्‍होंने कहा कि साहित्‍य, योग, दर्शन, राजनीति, विज्ञान और गणित के क्षेत्रों में भारतीय संतों का योगदान अप्रतिम है। श्री मोदी ने कहा कि महर्षि दयानंद ने राष्‍ट्र और समाज के प्रत्‍येक पहलू के प्रति समग्र, समावेशी और एकीकृत दृष्टिकोण अपनाया था। उन्‍होंने कहा कि स्‍वामी दयानंद ने भारतीय परम्‍पराओं को पुनर्जीवित करने में महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाई है।

About The Author