हिमाचल विधानसभा का मानसून सत्र आरंभ

नियम-67 के तहत चर्चा की अनुमति न मिलने पर विपक्ष ने किया वाॅकआउट

हिमाचल प्रदेश विधानसभा का मानसून सत्र सोमवार को हंगामे के साथ आरंभ हुआ। विपक्षी दल भाजपा ने नियम-67 के तहत उसके काम रोको प्रस्ताव पर चर्चा की अनुमति न मिलने से नाराज होकर पहले सदन में जोरदार हंगामा किया फिर सदन से वाॅकआउट कर दिया। नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने वाॅकआउट से पहले नियम-67 पर अपना पक्ष रखते हुए कहा कि हिमाचल इस समय सबसे बडी त्रासदी से गुजर रहा है। ऐसे में सरकार को प्रदेश की जनता की भावना को समझते हुए नियम-67 के तहत चर्चा की अनुमति देनी चाहिए। इस दौरान विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया ने व्यवस्था दी कि उन्हें पहले ही सरकार की ओर से नियम-102 के तहत आपदा पर चर्चा के लिए सूचना मिली है और उन्होंने इसकी अनुमति भी दे दी है, इसलिए नियम-67 के तहत अलग से चर्चा की जरूरत नहीं हैं। उन्होंने यह भी कहा कि विपक्ष की और से काम रोको प्रस्ताव का नोटिस आज ही मिला है और इसका विषय भी सरकार के प्रस्ताव के समान ही है। विधानसभा अध्यक्ष ने व्यवस्था की दी वह विपक्ष के काम रोको प्रस्ताव को सरकारी प्रस्ताव के साथ ही संलग्न कर रहे हैं। इस दौरान विपक्ष अपनी मांग पर अडा रहा और जब उसे नियम-67 के तहत चर्चा की अनुमति नहीं मिली तो पहले पूरा विपक्ष अपनी सीटों पर नारेबाजी करता रहा और फिर कुछ देर बाद सदन से वाॅकआउट कर बाहर चला गया।

संसदीय कार्यमंत्री हर्षवर्धन चौहान ने विपक्ष के काम रोको प्रस्ताव का यह कहते हुए विरोध किया कि भाजपा आपदा पर राजनीति कर रही है। उन्होंने कहा कि सरकार इस मुद्दे पर पूरी तरह गंभीर है और इसलिए सत्र के पहले ही दिन नियम-102 के तहत चर्चा भी रखी है। उन्होंने कहा कि आज की कार्यसूची में यह चर्चा आने के बावजूद विपक्ष द्वारा नियम-67 के तहत काम रोको प्रस्ताव का नोटिस देना गलत है।

स्पेशल रिलीफ पैकेज लाएगी सरकार

मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने घोषणा की कि प्रदेश सरकार राज्य में आई प्राकृतिक आपदा से प्रभावित लोगों के पुनर्वास के लिए स्पेशल रिलीफ पैकेज लाएगी। इस पैकेज के माध्यम से उन लोगों की मदद की जाएगी जो आपदा में अपना सब कुछ खो चुके हैं। मुख्यमंत्री ने यह घोषणा आज विधानसभा में नियम-102 के तहत प्रदेश में आई प्राकृतिक आपदा चर्चा के लिए पेश किए गए प्रस्ताव के दौरान की। मुख्यमंत्री ने केंद्र से हिमाचल को आपदाग्रस्त राज्य घोषित करने की भी मांग की ताकि प्रदेश को भुज, केदारनाथ और जोशीमठ त्रासदी की तर्ज पर मदद मिल सके। मुख्यमंत्री ने प्रस्ताव पेश करते हुए कहा कि प्रदेश पर इस बार इतिहास की सबसे बड़ी प्राकृतिक आपदा आई है। राज्य में अभी तक इस आपदा से 12 हजार करोड़ से अधिक का नुकसान आंका गया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार ने प्रदेश को आपदा राज्य घोषित कर दिया है और इसे राष्ट्रीय आपदा घोषित करने के लिए वह प्रधानमंत्री तथा गृहमंत्री से व्यक्तिगत तौर पर भी मिल चुके हैं। मुख्यमंत्री ने आरोप लगाया कि विपक्ष आपदा पर राजनीति कर रहा है।

बागवानी मंत्री जगत सिंह नेगी ने खराब सेब को नाले में बहाने के मामले में प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा की गई दंडात्मक कार्रवाई का समर्थन किया और यह कार्रवाई करने वाले बोर्ड के अधिकारी को शाबाशी भी दी। उन्होंने कहा कि जिस बागवान ने यह सेब नाले में बहाया वह भाजपा का कार्यकर्ता है और उसने यह काम कर पानी को प्रदूषित किया है। इसलिए उसके खिलाफ कार्रवाई होना सही है।

पूर्व विधायक खूब राम को श्रद्धांजलि

सत्र के पहले दिन की कार्यवाही शोकोद्गार से शुरू हुई। आनी से पूर्व विधायक खूब राम के निधन पर सदन में शोक जताया गया। सरकार की तरफ से राज्य में भारी बरसात के कारण मारे गए 441 लोगों के प्रति भी शोक जताया गया और उनके परिवारजनों के प्रति संवेदना व्यक्त की गई। मुख्यमंत्री सुखविन्द्र सिंह सुक्खू ने शोक प्रस्ताव पेश करते हुए कहा कि आनी के पूर्व विधायक खूब राम का निधन 19 जुलाई को 70 साल की उम्र में हुआ। वह 1982, 1990 व 2012 में विधायक रहे। उन्होंने अपने क्षेत्र के लोगों के लिए बेहतर काम किया और एक समाज सुधारक माने जाते थे। उन्होंने कहा कि पूर्व विधायक ने अपना जीवन जनता के लिए दिया और हमेशा अपने क्षेत्र के लिए काम करते रहे।

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